
तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान
दरअसल आपको बता दूं कि सुप्रीम कोर्ट ने तलाक को लेकर बड़ी अपडेट सामने लाई है इन्होंने 13 अक्टूबर को एक मामले में टिप्पणी करते हुए बताया कि भारत में शादी कोई आकाशमिक घटना नहीं है इसलिए वैवाहिक जीवन में पति पत्नी के बीच कुछ दिनों के बाद कुछ ना कुछ अनबन हो जाता है मामला इतना आगे बढ़ जाता है कि दोनों के बीच तलाक की नौबत आ जाती है और कोर्ट में याचिका दायर किया जाता है।
लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले पर टिप्पणी करते हुए बताया कि तलाक के लिए पति और पत्नी दोनों का सती होना अनिवार्य है यदि दोनों में कोई एक सहमत हो और दूसरा सहमत नहीं हो तो सुप्रीम कोर्ट आर्टिकल 142 का उपयोग नहीं कर सकता है अगर आर्टिकल 142 का उपयोग करवाना हो तो इसके लिए पति और पत्नी दोनों को एक साथ सहमत होना पड़ेगा।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले पर टिप्पणी किया
दरअसल आपको बता दूं कि हाल ही में एक शादी जोड़े ने अपने शादी का महज 40 दिन ही हुआ की की पति ने पत्नी को छोड़ने के लिए याचिका दायर की आपको बता दूं कि पति संयुक्त राष्ट्र से जुड़ा हुआ है और पत्नी कनाडा पीआर की अनुमति है
पति ने अपने शादी को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कोर्ट में सनवाई के दौरान पति ने बार-बार पीठ से शादी को भंग करने काम गुहार लगाते रहा ,लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय के कॉल और अभय एस ओका ने पति के याचिका को खारिज करते हुए बताया कि अनुच्छेद 142 का उपयोग भी किया जा सकता है जब दोनों पक्ष तलाक सहमति से दे।
महिला ने बताया कि वह कनाडा में अपनी नौकरी को छोड़ कर उनसे शादी करने के लिए आई थी कोर्ट ने इस पर बताया कि दोनों को एक दूसरे को समझने के लिए 40 दिन पर्याप्त नहीं है एक सफल शादी के लिए दोनों को रिश्ते को कायम करने के लिए समझ ही पड़ेगी ऐसा नहीं हो सकता है कि कुछ दिन पहले शादी हुई और तुरंत बाद इससे छुटकारा पाना।
पीठ ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जज एस जे वजीफदार को मध्यस्थ नियुक्त किया और उन्हें मैरिज काउंसलर की सहायता लेने की स्वतंत्रता दी तथा मध्य स्थित 3 महीने में रिपोर्ट मांगी है।