जानिए क्या होता है करवा चौथ व्रत? क्या है रहस्य जानिए सबकुछ।

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क्यों मनाया जाता है करवा चौथ व्रत :

दरअसल आपको बता दूं कि करवा चौथ व्रत भारतीय महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि आपको बता दूं कि यह बर्तन अखंड सौभाग्य प्राप्ति तथा अपने पति की लंबी उम्र की कामना करने के लिए किया जाता है यह व्रत भारत में काफी प्रचलित है।

आपको बता दूं कि द्वापर युग से लेकर कलयुग तक इस व्रत को उतनी ही आस्था और श्रद्धा से किया जाता है जैसे द्वापर युग में लोग क्या करते थे आपको बता दूं कि आज के दिन में हमारे भारत देश की सुहागन माताओं एवं बहनों इस पर्व को बहुत ही निम्न निष्ठा से करते हैं।

आपको बता दूं कि करवा चौथ व्रत जो हमारे देश की महिलाएं करती है इसके बारे में आपको बता रहा हूं कि प्राचीन समय में एक करवा नाम की पतिव्रता स्त्री थी उनका पति काफी उम्रदराज हो चुके थे 1 दिन उनका पति नदी में स्नान करने के लिए गए थे और उसे अचानक एक मगरमच्छ ने उसके पैरों को पकड़ लिया और निकलने के लिए खींचने लगा।

जैसे ही उनके पति को मगरमच्छ ने नदी की ओर खींचने लगा तब उनके पति ने जोर-जोर से चिल्लाते हुए आवाज भी और करवा को बुलाया और सहायता करने के लिए उन्होंने अपनी पत्नी से कहा उनकी पत्नी पति के प्रति काफी प्रेम दिखाती थी तब उनकी पत्नी तुरंत करवा नदी के तट पर अपने पति के पास पहुंच गए और उन्होंने सूती साड़ी से धागा निकालकर अपने तपोबल के माध्यम से उस मगरमच्छ को अपने उस सूती वस्त्र के धागों से बांध दिया।

और उस मगरमच्छ को धागों से बांधकर यमराज के पास ले गया यमराज ने इनसे पूछा कि देवी आप यह क्या कर रही है और आप चाहती क्या है तो इस पर करवा ने यमराज से बताया कि महाराज इस मगर ने मेरे पति को पैर पकड़ लिया था इसलिए मैं इसे अपनी शक्ति से इसकी मृत्यु दंड देने के लिए नर्क में लेकर आई हूं, इस पर यमराज ने देवी से विनती की कि और बताइए कि देवी इस मगर की मृत्यु में अभी समय है और इसका आयु भी बची हुई है इसलिए इसे समय से पहले मृत्यु दंड ना दें सकते हैं इस पर करवा ने बताया कि अगर आप मगर को मारकर मेरे पति की चिरायु को वरदान नहीं दोगे तो मैं अपने तपोबल के माध्यम से तुम्हें ही नष्ट कर दूंगी।

चित्रगुप्त ने करवा को दिया आशीर्वाद :

करवा की इस बात को सुनकर यमराज के पास खड़े थे चित्रगुप्त जो सोच में पड़ गए क्योंकि करवा के सतीत्व के कारण न तो वह इसे शाप दे सकते हैं और ना ही उसके वचन को अनदेखा कर सकते हैं। इस बात के धर्म संकट में पर है चित्रगुप्त ने करवा को बातों को मान लिया और उन्होंने मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और उसकी पति को चिरायु का आशीर्वाद दे दिया और कहां कि तुम्हारा जीवन सुख समृद्धि से भरपूर होगा इस तरह का आशीर्वाद इन्होंने दे दिया।

इसी तरह से करवा चौथ की हुई थी शुरुआत :

इसके आगे चित्रगुप्त ने करवा से बताया कि जिस तरह से तुमने अपने पति को अपने तपोबल के माध्यम से उनके प्राणों की रक्षा की है उससे मैं काफी प्रसन्न हूं और मैं यह वरदान तुमको देता हूं कि आज की तिथि के दिन जो भी महिला पूर्ण विश्वास के साथ तुम्हारा व्रत रखेगा और तुम्हें निष्ठा से पूजन करेगा उसकी सुहाग की रक्षा मैं खुद करूंगा।

आपको बता दूं कि जिस दिन करवा को यह आशीर्वाद मिला था उस दिन कार्तिक मास की चतुर्थी की दिन था इसलिए करवा के नाम से को करवा रखते हुए और कार्तिक मास की चतुर्थी के दिन को चौथ मानकर इस व्रत का नाम करवा चौथ पड़ा है।